Rainy Morning

Days without address

में रविवार की सुबह बड़ी लेट से उठु और आँगन में तुमको बाल बनाते देखु। मुझे देख कर तुम बोलो "ये कोई समय हे उठने का , ५० तरह के काम पड़े हे , कपडे धोने हे , सब्जी मंडी जाना हे , लिपिइ करनी हे , अलमारी ठीक करनी हे , गेहू साफ़ करना हे , बगीचे में घास भी बहुत हो गयी हे। "

"सांस ले लो पहले और पानी को बरसते देखो। "

"सांस कहा से ले ये बारिश सुबह से रुकने का नाम नहीं ले रहा, तुम को तो कुछ हाथ बटाना हे नहीं, कुछ तो करलो ।"

"अच्छा चाय चढ़ा दू क्या फिर में सब्जी लेने जाउंगी?"

"हा बड़ी मेहरबानी और हा अदरक थोड़ा ज्यादा डालना, मौसम बड़ा अच्छा हे तो थोड़ा पकोड़ा भी मिल जाता तो "

"एक और बार बोलो अदरक वाली चाय के आगे" झल्ला गयी मुझे पता चल जायेगा।

रसोईघर में तुम चाय बनाओ तब तक में बारिश में हल्का हल्का भीग कर बगीचे से जासुद का फूल तोड़ कर लाऊँ और तेरे बालो में लगा दू।  

"बन रहा हे पकोड़ा जाओ बैठो अपनी किताब ले कर। "



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